Saturday, December 11, 2010

आज मीठा हुआ ज़हर देखो

    कुँवर कुसुमेश     


सुर्ख़ियों में है ये ख़बर देखो,
आह भरता हुआ शहर देखो.

घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
ज़िंदगी के दिलों में डर देखो.

वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
काटने पर तुली हैं पर देखो.

आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
आज मीठा हुआ ज़हर देखो.

इक बड़ी बात ले के निकली है,
एक छोटी-सी ये बहर देखो.

इस सदी का यही तो हासिल है,
क़िस्मतों का लिखा 'कुँवर'देखो.

48 comments:

  1. क्या खूब भाव अभिव्यक्त हुआ है, कुसुमेश जी।

    आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.

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  2. घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो
    बहुत खुब।

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  3. क्या बयां किया है! जब दिल से लिखा जाता है तो उसकी खुसबू पढ़ने वाले के पास पहुँच ही जाती है.

    सुन्दर रचना के लिए साधुवाद

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  4. घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो

    इक बड़ी बात ले के निकली है,
    एक छोटी-सी ये बहर देखो

    बड़ी बातें समेटे हुए हैं सारे ही शेर..
    आपके ख़यालों की दुनिया बहुत बड़ी है...आपका आभार !

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  5. घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो।

    वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो।

    वाह...बहुत खूब, कुसुमेश जी..
    जीवन के कुछ यथार्थ पलों को आपने इन पंक्तियों में सुंदरता से पिरोया है।

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  6. आज मीठा हुआ ज़हर देखो.
    काफी मारक है आपकी पूरी रचना,
    और इस पंक्ती की पहुँच तो बहुत पहुंची हुयी लग रही है

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  7. आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी
    नमस्कार !
    बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल है, हमेशा की तरह बेहतरीन !

    आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.

    क्या निशाना है सटीक !

    इक बड़ी बात ले के निकली है,
    एक छोटी-सी ये बहर देखो


    वाकई ! कम अल्फ़ाज़ में बहुत बड़ी बात , बेहतरीन शिल्प सौष्ठव के साथ …
    बधाई !
    मुबारकबाद !

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो.

    आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.

    क्या ख़ूब लिखा है? बहुत बढ़िया।

    सारे शेर एक से बढ़कर एक!

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  9. बहुत खूब...
    तारीफ करने को शब्द नहीं मिल रहे... एक-एक पंक्ती बहुत अच्छी है...

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  10. छोटी बहर की बेहतरीन ग़ज़ल.. हर शेर अपने आप में एक वजूद लिए हुए. . एक परिदृश्य लिए हुए... खास तौर पर यह शेर तो आज के पूरे समाज की दशा बता रहा है...
    घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो.

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  11. इक बड़ी बात लेके निकली है,
    एक छोटी-सी ये बहर देखो

    आज उनकी जुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ जहर देखो

    एक से बढ़कर एक शेर है, छोटी बहर की लाजबाव गजल कही है आपने। बहुत बहुत आभार जी!

    -: VISIT MY BLOG :-
    आपका मेरे ब्लोग पर स्वागत है।

    "कंप्यूटर से आँखो की सुरक्षा कैसे करेँ............लेख"

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  12. आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.

    इक बड़ी बात ले के निकली है,
    एक छोटी-सी ये बहर देखो.


    वाह वाह वाह| कुँवर जी कमाल कर दिया| बहुत बहुत बधाई|

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  13. वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो.
    और
    इस सदी का यही तो हासिल है,
    क़िस्मतों का लिखा 'कुँवर'देखो.
    कमाल की अभिव्यक्ति है। बार-बार पढते जा रहा हूं, और हर बार मुंह से निकलता है ...इरशाद!
    बेहतरीन ग़ज़ल।

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  14. किस्‍मत के लिखे पर भारी पड़े आपकी लेखी.

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  15. वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो.
    बहुत खूब ......बेहतरीन रचना .....

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  16. हर एक शेर में है जिन्दगी के कई सबब .बहुत खूब लिख आपने ।

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  17. सुर्ख़ियों में है ये ख़बर देखो,
    आह भरता हुआ शहर देखो.

    घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो.

    jidhar dekho yahi aalam hai

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  18. मुख में राम , बगल में छुरी का ही ज़माना है । बेहतरीन ग़ज़ल की बधाई।

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  19. आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.
    ... bahut khoob ... behatreen gajal !!!

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  20. घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो.

    वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो.

    बहुत सुन्दर गज़ल ..आईना दिखती हुई

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  21. इक बड़ी बात ले के निकली है,
    एक छोटी-सी ये बहर देखो.
    chotee bahar badee baat.laajawaab.

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  22. हर एक शेर लाजवाब लगा ।

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  23. "वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो.
    आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो."
    आदरणीय कुशमेस सर,सादर प्रणाम.
    पूर्व के गजलों की भांति आपकी ये
    गजल भी वास्तविकता के धरातल से
    उठकर आई है.जीवन के बदलते रूप
    पर सटीक प्रहार करती है.सुंदर अभिव्यक्ति,
    सुंदर शिल्प.

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  24. आपकी सारी रचनाये बहुत नयाब है जो दिल से लिखते है वह इस तरह उम्दा ही लिखते है । मेरा ब्लाग विजट करने का आभार ।
    Ganga Ke Kareeb
    http://sunitakhatri.blogspot.com

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  25. सुन्दर एवं सार्थक अभिव्यक्ति . पढ़ के प्रफुल्लित हुआ मन .

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  26. आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.

    वाह! सच में, बेहद कमाल की रचना है कुसुमेश जी....बहुत खूब्!

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  27. इस सदी का यही तो हासिल है,
    क़िस्मतों का लिखा 'कुँवर'देखो.
    --
    बहुत बढ़िया रही यह गजल!
    गुनगुनाते हुए अच्छा लग रहा है!

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  28. बहुत ही खुबसूरत रचना...मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ मेरी कविताएँ "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी हर सोमवार, शुक्रवार प्रकाशित.....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे......धन्यवाद

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  29. कुसुमेश जी , बहुत सुन्दर रचना!

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  30. कुसुमेश जी,
    आज सुबह सुबह आपकी इतनी अच्छी ग़ज़ल पढकर मन को जो ख़ुशी मिली उसे शब्दों में व्यक्त कर पाना मुश्किल है !
    पूरी ग़ज़ल मानवीय संवेदना को मुखरित कर रही है !
    यह शेर तो कमाल का है ,
    वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो.
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  31. बहुत सुन्दर रचना है

    घर में सांकल चढ़ा के बैठी है,
    ज़िंदगी के दिलों में डर देखो.


    वक़्त की कैंचियाँ परिंदों के,
    काटने पर तुली हैं पर देखो.

    बहुत - बहुत बधाई

    ReplyDelete
  32. आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.


    वाह एक और लाजवाब ग़ज़ल ... और कमाल के शेर .. समाज का आईना ...

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  33. आदरणीय कुँवर जी
    नमस्कार !
    ...........कमाल कर दिया|बेहतरीन ग़ज़ल .......दिल से मुबारकबाद|
    ..........बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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  34. भावों को मोतियों की तरह सुन्दर शब्दों में पिरोया है... बहुत खूब

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  35. बहुत सुन्दर और लाजवाब ग़ज़ल ! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  36. बेहतरीन लाजवाब बेहद खूबसूरत ग़ज़ल. पढ़कर दिल खुश हो गया.

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  37. bahut hi sunder gajal hai aapki
    bahut khub

    samaye milne par kabhi yaha bhi aaye
    www.deepti09sharma.blogspot.com

    der se aane ko mafi chahti hu

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  38. एक एक पंक्ति बेहद प्रभावशाली!

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  39. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों का संगम ...।

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  40. mai b.tech 3 year m hu
    and mere exam 6 jan tak hai
    aapka blog par aane ko bahut dhanyvad
    yuhi aashih banaye rakhe
    deepti sharma
    meri gmail id hai
    deepti09sharma@gmail.com

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  41. कुंवर जी, आपके कद के अनुरूप ही एक शानदार गजल।

    ---------
    दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

    ReplyDelete
  42. आज उनकी ज़ुबान शीरी है,
    आज मीठा हुआ ज़हर देखो.


    हरेक शेर लाज़वाब...बहुत ही शानदार गज़ल..

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  43. पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
    प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
    मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
    दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
    या हादी
    (ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)

    या रहीम
    (ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)

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    {आप की अमानत आपकी सेवा में}
    इस पुस्तक को पढ़ कर
    पांच लाख से भी जियादा लोग
    फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom

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  44. पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
    प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
    मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
    दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
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