Monday, January 10, 2011

तेरा ख़त

कुँवर कुसुमेश 


आया है मेरे हाथ में फिर आज तेरा ख़त,
वल्लाह लिए है नया अंदाज़ तेरा ख़त.

अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त.

तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त.

दुनिया ने कहा प्यार के रस्ते हैं पुरख़तर,
ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त.

इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.

तब्दील 'कुँवर' पुर्जा-ए-काग़ज़ में हो गया,
दिल में जगा के हसरते-पर्वाज़ तेरा ख़त.
 ************
अंजामेमुहब्बत-मुहब्बत का परिणाम, आग़ाज़-शुरुआत , पैग़ामे-मुहब्बत-मुहब्बत का पैग़ाम  
पुरख़तर- ख़तरनाक , हसरतेपर्वाज़-उड़ने कि इच्छा 

75 comments:

  1. अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त.
    बहुत अच्छा शेर है कुंवर साहब...
    इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.
    अपने रंग में एक उम्दा ग़ज़ल...मुबारकबाद

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  2. वाह वाह!
    अलग अंदाज़ की ग़ज़ल कही है आपने.....

    "तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त"

    जी बिलकुल, ऐसे काम तन्हाई मैं करने चाहिए :-)

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  3. शानदार गज़ल यह तेरा खत
    शुक्रिया!!

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  4. नए अंदाज़ में एक बेहतरीन गज़ल. आभार .

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  5. इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.
    वाह! वाह!! वाह!!!
    आपकी ग़ज़लें पढकर कुछ लिखने का मन नहीं करता...
    बस गाते चले जाते हैं हम तो।
    ब्लॉग जगत में इतना गेय ग़ज़ल कौन लिखता है!!!!
    कोई नहीं।
    आभार।

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  6. दुनिया ने कहा प्यार के रस्ते हैं पुरख़तर,
    ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त.
    शाईर की तबियत ,
    ग़ज़ल के तेवर को बरकरार रख पाने में
    कामयाब ही रहा है ... बधाई
    ग़ज़ल का रंग
    पढने वालों को
    मुह्तासिर किये बिना
    नहीं रह पाएगा,,,
    ऐसा यकीन किया जा सकता है

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  7. बहुत सुंदर पेगाम हे जी इस खत मे, अति सुंदर गजल धन्यवाद

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  8. तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त.

    अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त

    Kunwar ji............
    waah..kya baat he.......bahut bahut shurkiyaa...agar ...main ye nhi prti to ik bahut hi khoosurat gazl...nazron se bch jaati..
    bahut khoobsurat....

    take care

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  9. खत मानों पुरस्‍कार हो और चित्र, पुरस्‍कार वितरण की तरह, जिसमें पता नहीं लग रहा है कि पुरस्‍कार दे कौन रहा है और ले कौन रहा है.

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  10. तब्दील 'कुँवर' पुर्जा-ए-काग़ज़ में हो गया,
    दिल में जगा के हसरते-पर्वाज़ तेरा ख़त.
    बहुत अच्छा शेर , .मुबारकबाद

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  11. अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त.
    ... bahut khoob !!

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  12. दुनिया ने कहा प्यार के रास्ते हैं पुरख़तर,
    ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त.


    इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.


    बहुत खूबसूरत गज़ल ....खूब रही दास्तानें-खत

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  13. भावुक कर देने वाली बेहतरीन ग़ज़ल । हर शेर लाजवाब है।

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  14. वाह कुंवर जी बहुत सुन्दर, मन प्रशन्न हो गया
    बहुत बहुत धन्यवाद

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  15. कुसुमेश जी,
    कमाल का लिखते हैं आप !

    इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.

    इस शेर की जितनी भी तारीफ़ की जाय कम है '
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  16. वाह कुँवर साहब वाह
    क्या शेर कहा

    अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त.

    मुकम्मल ग़जल ही बेहतरीन है

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  17. तब्दील 'कुँवर' पुर्जा-ए-काग़ज़ में हो गया,
    दिल में जगा के हसरते-पर्वाज़ तेरा ख़त.

    wah wah.........sir kya baat hai, urdu-e-bayan me aapne apnee purani yaaden taja kar di...:)

    waise ab to sms aur e-mail se kaam chal jata hai, khat ki baat kahan aati hai..:P (joking)

    ek aur pyari rachna....

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  18. दुनिया ने कहा प्यार के रास्ते हैं पुरख़तर,
    ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त.
    वाह...वाह...वाह...तेरा ख़त जैसे रदीफ़ का इतना खूबसूरत निर्वाह किया है पूरी ग़ज़ल में के मुंह से बार बार वाह निकल रहा है...इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें.

    नीरज

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  19. बहुत उम्दा गजल है!
    गुनगुनाने में मजा आ रहा है!

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  20. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन रचना ।

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  21. कुँवर जी नमस्कार| योग पर दोहे प्रस्तुत करने के बाद इस बेहतरीन ग़ज़ल के ज़रिए आवाजेदिल बेहतरीन अंदाज़ में बयाँ की है आपने| बहुत बहुत बधाई मान्यवर| आप हर विधा में साधिकार प्रस्तुति देते हैं, जो कि मुझ जैसे कई विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत है| आपका स्नेह बनाए रखिएगा| कभी थोड़ा समय रहे तो मेरे साहित्यिक प्रयासों को भी गति प्रदान करने की अनुग्रह करिएगा श्रीमान|

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  22. "तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त."
    .... कुवर साहब आपकी यह ग़ज़ल प्रेम के भाव जगा रही है... सचमुच ख़त अपने साथ कई राज लिए होती है और तन्हाइयों की साथी भी होती है.. सभी मायनों में एक सुन्दर ग़ज़ल..

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  23. तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त.

    wah.bahut sunder.

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  24. गज़ब की शानदार गज़ल है……………बेहद उम्दा।

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  25. "इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त."
    गजल में इतनी शिद्दत और सफाई से अपनी बात कह गई की हम क्लीन-बोल्ड हो गए,एक और बेहतरीन रचना पढवाने के लिए आभार.

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  26. ग़ज़ल पसन्द आई। अन्तिम शेर तो बहुत ही अच्छा लगा।

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  27. वाह ! ........... बहुत ही खूबसूरत गजल है । प्रेम के भावोँ से सरोवार। आभार वाबू जी ।

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  28. दुनिया ने कहा प्यार के रास्ते हैं पुरख़तर,
    ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त.
    waah

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  29. तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त.
    हर शेर दाद के काबिल है। सुंदर गजल। आभार।

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  30. कुँवर जी,
    मैंने कल ही आपकी ग़ज़ल पढ़ी थी ..इतनी खूबसूरत लगी कि तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ गए...सोचने लगी क्या कहूँ...
    मनोज की बातों से शत-प्रतिशत सहमत हूँ...गाने का शौक़ है मुझे और वो हर चीज़ जो गेयता के क़रीब होती है ..मेरे मन के क़रीब हो ही जाती है....
    आप बहुत सुंदर लिखते हैं...
    आभार..

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  31. आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।

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  32. आदरणीय कुँवर जी
    नमस्कार !
    .........खूबसूरत तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ गए..

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  33. कृपया 'मनोज जी' पढ़ें ..
    क्षमाप्रार्थी हूँ...

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  34. सुन्दर ग़ज़ल , हर शेर बेशकीमती . मनोज जी से सहमत की गेयता हर ग़ज़ल में नहीं होती है , लेकिन यहाँ विद्यमान है .

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  35. बहुत ही प्यारा था ये ख़त...
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल...

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  36. मनोहारी अद्भुत चित्रण प्रेम का....

    "तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त."
    खूबसूरत गजल, हर शेर दाद के काबिल

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  37. अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....

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  38. तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त.
    सच्चाई है यह .....किसी प्रिय का ख़त हाथ में आ जाये और हम उसे तन्हाई में न पढ़ें तो मजा ही क्या आएगा ..और कहीं कोई राज न खुल जाये ..इसका भी तो डर रहता है ..भावानुकूल प्रस्तुति ..हर एक शेर में सुंदर लेकिन दिल को छुने वाले भाव

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  39. बहुत सुन्दर गजल लिखी आपने

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  40. kushmesh ji bahut hi umda gazal.......... sunder prastuti.

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  41. अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त
    बहुत सुन्दर.

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  42. bahutbahut badhai ,sir aapko .itni alag avam behtreen andaaz megazal pesh ki hai aapne jiski har pankti ek sachchai ko bhi badi khoobsurati ke saath bayan karti hai.
    इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.
    hardik abhnandan
    ponam.

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  43. बहुत प्यारा ख़त ...
    शुभकामनायें !

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  44. आदरणीय कुंवर जी
    नमस्कार !
    अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई !

    अंज़ामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ़, है आग़ाज़ तेरा ख़त

    बड़ा प्यारा शे'र … क्या बात है !



    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  45. "कुछ ऐसा ही महसूस किया था कभी मैंने,

    याद आ गई वो बात मुझे पढ़ के तेरा ख़त!!"

    बहुत सुंदर......

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  46. तनहाइयों में बैठ के पढ़ना है मुनासिब,
    डर है कि कहीं खोल न दे राज़ तेरा ख़त।

    वाह, क्या बात कही आपने।
    यह ग़ज़ल पूरी तरह छंदबद्ध है, इसकी धुन बनाकर इसे गाया जा सकता है।
    इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई, कुसुमेश जी।

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  47. जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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  48. bahut hi umda gazal jitni bhi badhai di jaye kum hai prnam

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  49. खूबसूरत प्रेममयी ग़ज़ल...... कमाल की अभिव्यक्ति

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  50. भावानुकूल प्रस्तुति|अच्छी लगी यह गज़ल।

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  51. ब्दील 'कुँवर' पुर्जा-ए-काग़ज़ में हो गया,
    दिल में जगा के हसरते-पर्वाज़ तेरा ख़त.
    ************

    सुंदर पंक्तियाँ -
    बधाई एवं शुभकामनायें -

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  52. सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें

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  53. सुन्दर गज़ल कुश्मेश जी ! .. आज चर्चामंच पर आपकी पोस्ट है...आपका धन्यवाद ...मकर संक्रांति पर हार्दिक बधाई

    http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/blog-post_14.html

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  54. कुसुमेश जी आपकी गजल अच्छी लगी।
    आभार

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  55. मकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  56. दुनिया ने कहा प्यार के रास्ते हैं पुरख़तर,
    ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त..

    बेहद खुबसूरत गज़ल ...हरेक शेर लाज़वाब.लोहड़ी और संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनायें

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  57. लोहड़ी,पोंगल और मकर सक्रांति : उत्तरायण की ढेर सारी शुभकामनाएँ।

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  58. कुसुमेशजी,

    उम्दा ग़ज़ल .......हर शेर दमदार !

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  59. kya khoob hai ye khat ..kash aise jazbat e-mail me bhi hote :)

    Sir, Since you have been a Divisional Manager with LIC , i would request you to read :

    Life Insurance लेने से पहले जाने 10 महत्वपूर्ण बातें

    http://achchikhabar.blogspot.com/2011/01/how-buy-life-insurance-tips-hindi.html

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  60. कुँअर जी,

    श्री नीरज जी की तारीफ के बाद हमारे लिये तो कुछ बचा नही बस
    वाह के सिवाय.....

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

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  61. इस दर्ज़ा मिला है मुझे पैग़ामे-मुहब्बत,
    गोया कि शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त....

    सुभानाल्लाह .......
    हर शे'र पुरखतर ......
    गज़ब लिखते हैं कुसुम जी .....!!

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  62. वाह वाह!
    अलग अंदाज़ की ग़ज़ल कही है आपने.....
    अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,

    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त
    बहुत सुन्दर.बधाई एवं शुभकामनायें -

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  63. आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  64. कुंवर साहिब,बहुत बढ़िया ग़ज़ल है.काश ख़त होते आजकल .मुए मोबाइल ने शायरी बिगाड़ दी है.खुदा करे जोरे कलम और ज्यादा हो.

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  65. अंजामे-मुहब्बत मुझे मालूम नहीं है,
    इतना पता है सिर्फ है आग़ाज़ तेरा ख़त.


    कुंवर साहब .. कमाल की ग़ज़ल है ... इस आगाज़ का अंजाम भी ज़रूर आएगा ...

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  66. कुंवरजी, बहुत ही सुन्दर नज्म है दिल खुश हो गया |

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  67. बहुत ही सुन्दर रचना.
    आपक लेखन कला को प्रणाम है'
    - अमन अग्रवाल "मारवाड़ी"

    amanagarwalmarwari.blogspot.com
    marwarikavya.blogspot.com

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  68. बेहतरीन गजल . आज एस एम् एस और मोबाइल के ज़माने में भी प्रेम पत्र के लेनदेन, पठन पाठन और प्रेषण का अलग ही अंदाज है .

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  69. दुनिया ने कहा प्यार के रस्ते हैं पुरख़तर,
    ऐसे में बराबर लगा जाँ-बाज़ तेरा ख़त.

    ज़बर्दस्त......प्रीत भी क्रांतिकारी.

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