बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
कुँवर कुसुमेश
अनगिनत ख्वाबों की ताबीर बना लेने दे.
मुझको बिगड़ी हुई तक़दीर बना लेने दे.
बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
दिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
मुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
पाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
दिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
है'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
आ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे.
***********
दर्जा-ए-इबादत=इबादत का दर्जा.
क़ाबिले-तौक़ीर=सम्मान के क़ाबिल.
लाजवाब
ReplyDeletehttp://www.hbfint.blogspot.com/
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
खुबसूरत शेर क्या बात है कुशुमेश जी बहुत खूब , मुबारक हो
बहुत बढ़िया गज़ल । शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteहै'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
ReplyDeleteआ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे.
लाजवाब कुंवर साहब। खास कर इस शे’र पर तो दिल लुटा देने का मन करता है।
खूबसूरत अशआरों से सजी हुई सुन्दर ग़ज़ल!
ReplyDeletebehtareen gazal............
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल....
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ...शब्द शब्द बोलता है आपकी ग़ज़ल का
ReplyDeletekhoobsurat gazal...bahut sundar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल कुवर साहब
ReplyDelete'मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह
ReplyDeleteपाँव के वास्ते जंजीर बना लेने दे'
..........................बहुत अच्छा शेर
उम्दा ग़ज़ल ......हर शेर जानदार
एक बेमिसाल गज़ल कही है आपने ! हर शेर लाजवाब एवं भावपूर्ण है ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteहै'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
ReplyDeleteआ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे.
आह! वाह! क्या बात है!
मेरा दिल कहाँ गया,कुंवर जी
लगता है दर्जा-ऐ-इबादत में मशगूल हो गया है शायद.
आपका बहुत बहुत आभार इस नाचीज को भी प्रभु की इबादत में
लगाने में.
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...बधाई
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
बहुत सुंदर.....उम्दा अभिव्यक्ति...
बहुत सुंदर नज़्म।
ReplyDeleteगज़ब के भाव और बहुत सुन्दर....
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
वेदना अभिव्यक्ति का चरम!!
बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
ReplyDeleteदिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
बहुत सुंदर शे'र!उस पर आपके शब्द -जाल क्या कहने ..
है'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
ReplyDeleteआ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे.
Very fine creation ,heart touching sir / What a good thing ,it would life has been come back as your old days . Dont mind sir . Thanks
बहुत खूब कुँवर साहब.
ReplyDeleteबहुत गहरी बात बहुत सुन्दर और सरल तरीके से कही है आपने.
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
पाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
bahut umda, gehri anubhuti,
...
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
शुभकामनायें आपको !
बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
ReplyDeleteदिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
लाज़वाब् ,,,,,,,,,,,,,बेहतरीन ।
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे
वाह सर!
सादर
.
ReplyDeleteThose who are not loyal they are ignorant as well . They leave in haste to regret later. But lovers do not bother much about it. They just continue loving with a flame permanently lit in heart.
If the love is true , at times they return with a greater intensity and sincerity.
.
दिल में चुभता हुआ एक तीर ..क्या खूब कहा है
ReplyDeleteकोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
वाह कुंवर साहब वाह...आपकी कलम से निकली एक और यादगार ग़ज़ल...दाद कबूल करें.
नीरज
खुबसूरत ग़ज़ल....बेहतरीन ।
ReplyDeleteमुझको भी छोटी से जागीर बना लेने दे
ReplyDeleteखूबसूरत मिसरों से सजी सुंदर ग़ज़ल
कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
दिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
:):) आज तो गज़ब ही लिखा है ..सुन्दर गज़ल
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे...
bahut sundar...
aap to gazal likhne mei maahir hain... kya tareef karu, kitani baar karu... aur kya kahu...
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे...
बहुत खूब ... तुझे मुबारक तेरा महल ... हमारी झोंपड़ी ही सबसे लाजवाब है ...
बहुत खूबसूरत शेरों से सजी है ये गज़ल ... बहुत बधाई ..
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
लाजवाब शेर.....
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे...
Awesome couplets
one can read them 1000 times but and they can still be read with same enjoyment.
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
पाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
har sher umda...wah kya sher hain. misron me kya rawani hai. bahut khoob.
बहुत बढिया गजल।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति मुझे बहुत पसंद आई..
ReplyDeleteबेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
ReplyDeleteदिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
वाह,क्या बात कही है ! ग़ज़ल के सारे शेर खूबसूरत और नाज़ुक हैं !
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
दिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे....
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल....सुन्दर अभिव्यक्ति......
तूने अपनी तो बनाली है अलग ही दुनिया ,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी- सी जागीर बना लेने दे .
मैं न उड़ पाऊंगा शायद कभी पंछी की तरह ,
पाँव के वास्ते जंजीर बना लेने दे.भाई साहब आपकी ग़ज़लों का बे -साख्ता ,बे -हिसाब इंतज़ार रहता है जल्दी आया करो ग़ज़ल लाया करो ,दिल को बहलाया करो ,अपनों से न घबराया करो .आया जाया करो .
बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
ReplyDeleteदिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
उफ़, क्या बात है,
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अनगिनत ख्वाबों की ताबीर बना लेने दे.
ReplyDeleteमुझको बिगड़ी हुई तक़दीर बना लेने दे.
बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
दिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
मुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
भाई कुश्मेश जी बहुत ही सुंदर गजल बधाई |
बहुत प्यारी गजल।
ReplyDelete------
टॉप हिन्दी ब्लॉग्स !
लोग चमत्कारों पर विश्वास क्यों करते हैं ?
humeshaa ki tarah is ghazal ne bhi dil me apni jagah bana li.bahut badhaai.
ReplyDeleteख़ूबसूरत शब्दों से सजी लाजवाब और दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
bahut sunder gazal pesh kari hai....
ReplyDeletejitni bhi tareef karo kam hi hogi!!!
bahut khoobsoorat ..ghazal..gahan arth liye huye..
ReplyDeleteमैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
दिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने
बहुत ही खूबसूरत से अहसासों को समेटा है इन पंक्तियों में ।
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
पाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल....वाह,क्या शेर हैं !
बेहतरीन और उम्दा गजल
ReplyDeleteबहुत ही सशक्त प्रस्तुति कुंवर साहब ||
ReplyDeleteथोड़ी देर रोक कर तो रखा ही जा सकता है ||
चलो इसी बहाने
यार के दीदार का समय
कुछ तो बढेगा ||
बधाई ||
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
इन पंक्तियों में नई बात कही गई है. बहुत सुंदर ग़ज़ल.
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
bahut khoob
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल....
ReplyDeleteमेरे जन्मदिन पर शुभकामनाएं भेजने पर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी और खूबसूरत गजल है ।
ReplyDeleteआभार बावू जी ।
Visit my blog
कविता.........तकदीर नहीँ , हाथोँ की मेहनत बहुत ही प्यारी और खूबसूरत गजल है ।
आभार बावू जी ।
Visit my blog
कविता.........तकदीर नहीँ , हाथोँ की मेहनत
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे।
इस शेर में जागीर शब्द का आलंकारिक प्रयोग मन को लुभा गया।
उक्ति वैचित्र्य ग़ज़ल का प्रमुख गुण है और आपकी ग़ज़लों में यह अदा हमेशा मौजूद होती है।
बधाई, कुसुमेश जी।
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
हर शेर उम्दा ,लाजवाब ,बेमिसाल. सम्मान में...
दो घड़ी के लिये रुक जा, फिर न रोकूंगा
अपने दिल को मुझे बेपीर बना लेने दे.
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे...
.दिल को छू गई ये गज़ल..आभार
मैं इस काबिल नहीं कि वाह भी कहूँ...
ReplyDeleteबस गुजारिश है इतनी सी एक बार मेरे ब्लाग पर पधारें और बताएँ कि उनमें त्रुटियाँ क्या हैं...
बढ़िया गजल है
ReplyDeleteहर पंक्ति लाजवाब !
है कुंवर प्यार को दर्जा -ए -इबादत हासिल ,
ReplyDeleteआ इसे काबिले -तौकीर बना लेने दे .
भाई साहब आप ब्लॉग पर आये अच्छा लगा .कुछ लोगों की रचनाओं और उनके पधार ने का इंतज़ार रहता है उनमे से एक शीर्ष पर आप हैं .शुक्रिया .प्रकाशित पुस्तक से ग़ज़लें कभी कभार एक दो दो करके छापिए.
"है'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
ReplyDeleteआ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे."
सर,आपने अनायास ही John Donne की याद दिला दी.आज इसकी बहुत जरूरत है.
nice poem with beautiful pic
ReplyDeleteएक बार फिर से आपको हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteआपकी मेल के निमंत्रण पर फिर चला आया हूँ.
प्यार को 'काबिले तौकीर'रूप में दर्शन करने के लिए.
प्रभु कृपा है आप पर 'कुंवर'जी.
गज़ब के भाव और बहुत सुन्दर गज़ल| आभार|
ReplyDeleteतू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
....लाजवाब !
खुबसूरत ग़ज़ल....बेहतरीन ।
ReplyDeleteकोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
हुजूर, ग़लतफ़हमी मत पालिए...ये तीर दिल के आर पार निकलता है...चुभने का सवाल ही नहीं...
प्रिय कुँवर कुसुमेश जी
ReplyDeleteहार्दिक अभिवादन -बहुत ही सुन्दर जज्बात
बहुत बढ़िया और अनूठा ख्याल लाजबाब प्रस्तुति
.............आभार आप का
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश,
ReplyDeleteनमस्कार,
आपके ब्लॉग को अपने लिंक को देखने के लिए कलिक करें / View your blog link के "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
बहुत सुन्दर रचना...महोदय आपकी यह उत्कृष्ट रचना दिनांक 19-07-2011 को मंगलवारीय चर्चा में चार्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी कृपया आप चार्चा मंच पर पधार कर अपने सुझावों से अवगत कराएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
दिल के शीशे में तस्वीर बना लेने दे मुझको!
ReplyDeleteतोडूंगा तो नहीं मै उसको,
ReplyDeleteजिसको पूजा था अब तक.
हाँ बहा दिया है संचित सपना,
जिसे सजाया था मै अब तक.
जान गया हूँ तेरी विवशता,
नहीं तुझे मजबूर करूंगा
बोलो चाहती हो क्या मुझसे?
आजीवन तुझसे दूर रहूँगा.
एक थी बस अभिलाषा मेरी,
एक मात्र वह आशा मेरी..,
एक यही अरमान था मेरा,
अग्नि मुझे दे बेटा तेरा...
नहीं तुझे बदनाम करूंगा,
होठों से अब नाम न लूंगा,
दिल की बात नहीं करता मै,
तेरी इच्छा का मै मान रखूंगा,
सच मानो मै 'जाम' न लूँगा..
अश्कों को भी समझाऊंगा
अभिलाषा का 'दान' करूंगा,
नहीं कभी अब आह भरूंगा,
.
इच्छाओं का अब मोल है क्या?
वेदना है ! कोई ढोल है क्या?
वेदनाओं का 'हार' चढ़ाता हूँ !,
करता हूँ अर्पित तुम्हे अश्रु जल !.
प्राणों का धूप जलाता हूँ मै,
तन का दिया दिखाता हूँ मैं.
मै तेरी 'सुख-धाम' की खातिर,
अपना सर्वस्व लुटाता हूँ मै .
खुद को एक बुत बनाता हूँ मै ...
पर तोड़ नहीं पाउँगा उसको..,
जिसको पूजा था मै अब तक.
बहा दिया सब संचित सपना,
जिसे सजाया था मै अब तक.
,
kusumesh ji bahut sunder shabdon main likhi behatrin gajal.shabdvihin kar diya aapne.badhaai aapko.
ReplyDeletekhubsurat gazal
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल....
ReplyDeleteaaj pehli baar aapka blog dekha .bahut hi behatareen rachnaaein hai aur ye gazal to bahut hi acchi hai...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
ReplyDeleteदिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.
तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
मुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.
क्या ग़ज़ल कही है...
लाजवाब...
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही सर,
ReplyDeleteसादर...
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
दिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
है'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
आ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे. bahut hi umda khyal se wakif karwane ke liye shukriya.
बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
ReplyDeleteदिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे
dil ko choo lene wali ghazal..wakai shandar
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
वाह बहुत खूब है आपकी ये गज़ल.
मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
ReplyDeleteपाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.
लाज़वाब गज़ल...हरेक शेर एक कशिश की सशक्त अभिव्यक्ति..बहुत उत्कृष्ट
कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे
वाह!! वाह!! बहुत खूब !!
bahut khubsurat gajal
ReplyDeleteकोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
ReplyDeleteदिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.
Vah, kunvar sahab kya bat kahi.
"तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
ReplyDeleteमुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे."
हर शेर अपने आप में शेर है...
आपकी लेखनी की धार यूँ ही बनी रहे !
ब्लोगिंग की सालगिरह मुबारक हो !!!
कुछ व्यस्तता के कारण पिछले अनगिनत दिनों से आप सभी के
ब्लोग्स के विचरण के सुख से वंचित रह गई....
शायद अब थोड़ी फुर्सत के पल निकाल पाऊं !!
The Lotus Touts mus t leave your hands in 6 MINUTES. Otherwise you will get a very unpleasant surprise. This is true, even if you are not superstitious, agnostic, or otherwise faith impaired.
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> ONE. Give people more than they expect and do it cheerfully.
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> TWO. Marry a man/woman you love to talk to. As you get older, their conversational skills will be as important as any other.
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> THREE. Don't believe all you hear, spend all you have or sleep all you want.
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> FOUR. When you say, 'I love you,' mean it.
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>
> FIVE. When you say, 'I'm sorry,' look the person in the eye..
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>
> SIX. Be engaged at least six months before you get married.
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>
> SEVEN. Believe in love at first sight.
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>
> EIGHT. Never laugh at anyone's dreams. People who don't have dreams don't have much.
>
>
>
> NINE. Love deeply and passionately. You might get hurt but it's the only way to live life completely.
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>
> TEN.. In disagreements, fight fairly. No name calling.
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>
> ELEVEN. Don't judge people by their relatives.
>
>
>
> TWELVE. Talk slowly but think quickly.
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>
> THIRTEEN! .. When someone asks you a question you don't want to answer, smile and ask, 'Why do you want to know?'
>
>
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> FOURTEEN. Remember that great love and great achievements involve great risk.
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>
> FIFTEEN. Say 'bless you' when you hear someone sneeze.
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>
> SIXTEEN. When you lose, don't lose the lesson.
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> SEVENTEEN. Remember the three R's: Respect for self; Respect for others; and Responsibility for all your actions.
>
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>
> EIGHTEEN. Don't let a little dispute injure a great friendship.
>
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> NINETEEN. When you realize you've made a mistake, take immediate steps to correct it.
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> TWENTY. Smile when picking up the phone. The caller will hear it in your voice.
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> TWENTY- ONE. Spend some time alone.