Friday, August 31, 2012

चल रहे हैं लोग जलती आग पर........



कुँवर कुसुमेश 

चल रहे हैं लोग जलती आग पर.
बेसुरे भी लग रहे हैं राग पर.

नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.

आदमी पर मत कभी करिये यक़ीं,
आप कर लीजे भरोसा नाग पर.

दुश्मनी का खैरमक़दम हो रहा,
और डाका प्यार पर,अनुराग पर.

भ्रष्ट नेता आज हिन्दुस्तान के,
ख़ुश बहुत दामन के अपने दाग पर.

दूसरों के काम तो आओ कभी,
है 'कुँवर' हमको भरोसा त्याग पर.
*****
 खैरमक़दम=स्वागत   

30 comments:

  1. गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति ... आभार

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  2. अब वाह भी कैसे कहें ? गज़ल में राजनीति से ले कर ब्लॉग जगत को भी तीखे प्रहार से बींध दिया है .... खूबसूरत गज़ल .

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  3. बहुत बढ़िया... लाज़वाब प्रस्तुति... आभार

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  4. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.

    सच्चाई बयाँ करती बेहतरीन नज्म,,,,,,बधाई,,,,कुसुमेश जी,,,,

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  5. दूसरों के काम तो आओ कभी
    है कुंवर हमको भरोसा त्याग पर
    सही...सटीक...लाजवाब पंक्ति
    ले जाउँगी इसे बुधवारीय नई-पुरानी हलचल में
    सादर
    यशोदा

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  6. आदमी पर मत कभी करिये यक़ीं,
    आप कर लीजे भरोसा नाग पर.

    क्या बात है भाई कुसुमेश जी! सचमुच आज नाग पर भरोसा किया जा सकता है लेकिन मनुष्य पर नहीं. व्यावहारिक जानकारी का संकेत देते अशआर से युक्त बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई.

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (01-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  8. चल रहे हैं लोग जलती आग पर.
    बेसुरे भी लग रहे हैं राग पर.

    नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.

    सुन्दर नज़्म

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  9. वर्ष के श्रेष्ठ गजलकार सम्मान पर आपके हम भी गौरवान्वित हैं .ऐसे ही लिखते जाएँ ,भ्रष्ट नेता आज हिन्दुस्तान के,
    ख़ुश बहुत दामन के अपने दाग पर.दूसरों के काम तो आओ कभी,
    है 'कुँवर' हमको भरोसा त्याग पर.,बदलेगा रोबोटी शासन एक दिन ,है भरोसा कुंवर अपने काम पर .यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
    लम्पटता के मानी क्या हैं ?
    .

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  10. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.

    सत्य वचन.

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  11. waah kahane ki himmat nahi ho rahi hai---ACHCHHA kahake nikaltaa hoon

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  12. बेहतरीन नज्म..........बधाई

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  13. gazal ki umdaaygi k sath sath sateek war kiya hai aaj ke rajnaitik/samajik mahol par. yahi ek lekhak ka dharm aur karm hai jo bakhoobi nibhaya hai.

    wah nahi kahungi lekin apne shamsheer kis jis teekhi dhaar se sach ko ukerne a hai uske liye apko badhayi k hakdaar awashy hain.

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  14. हर अश'आर प्रासंगिक और सटीक.बेहतरीन गज़ल...

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  15. हर अश'आर प्रासंगिक और सटीक.बेहतरीन गज़ल...

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  16. बहुत बढ़िया सामयिक ग़ज़ल सभी शेर बेहतरीन हैं बधाई कुसुमेश जी

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  17. बहुत ख़ूब!

    एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें-

    जमाने के नख़रे उठाया करो

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  18. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.

    आदमी पर मत कभी करिये यक़ीं,
    आप कर लीजे भरोसा नाग पर.

    दुश्मनी का खैरमक़दम हो रहा,
    और डाका प्यार पर,अनुराग पर.
    भाई बहुत सही कहा है आपने |अच्छी गज़ल बधाई

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  19. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर...

    क्या बात है कुंवर जी ... व्यंगात्मक अंदाज़ में लिखा शेर ... पर सच की करीब लिखा शेर ... मज़ा आ गया सर ...

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  20. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.
    क्या बात है कुंवर साहब।
    यूं ही नहीं हम आपको ब्लॉग जगत के ग़ज़ल के बादशाह नहीं कहते। मन ख़ुश हो गया इस ग़ज़ल को पढ़कर।

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  21. आदमी पर मत कभी करिये यक़ीं,
    आप कर लीजे भरोसा नाग पर.

    दुश्मनी का खैरमक़दम हो रहा,
    और डाका प्यार पर,अनुराग पर.

    बहुत खूब....
    हर शेर ही तलवार सा है...

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  22. बहुत खूब ,,,, कुसुमेश जी गजल लिखने में आपका जबाब नही,,,,,

    RECENT POST - मेरे सपनो का भारत

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  23. आदमी पर मत कभी करिये यकीं,
    आप कर लीजे भरोसा नाग पर.

    ग़ज़ल को ग़ज़ल की तरह कहने का आपका फ़न बेमिसाल है।
    बार-बार पढ़ने को बाध्य हुआ।

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  24. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.
    सही है ....कोई एक चंद रचनाएँ दिल तक पहुँचती है !
    जैसे की यह .....

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  25. याखुदा हम बन न पाए,होना था जो
    रह गए उलझे द्वेष ओ राग पर!

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  26. नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
    वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.


    ACHHA VYANG!

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