Wednesday, October 17, 2012

तस्वीरें




कुँवर कुसुमेश 

दिखाने को तो दिखलाती रही दीवार तस्वीरें .
मगर तस्वीर लगती हैं तो बस दो-चार तस्वीरें .

पकड़ जायेगा मुजरिम छुप न पायेगा बहुत दिन तक,
बराबर छापता जाये अगर अखबार तस्वीरें .

हमारी सभ्यता को बन के दीमक चाटने वाली,
बदन दिखला रहीं खुलकर सरे-बाज़ार तस्वीरें .

घरों से देवताओं- देवियों के चित्र ग़ायब हैं,
घरों में अब नज़र आती हैं कुछ बेकार तस्वीरें .

शहीदों की वो तस्वीरें जिन्हें हम सर झुकाते हैं,
समय की भेंट चढ़ जायें न वो दमदार तस्वीरें .

पड़े जिस पर नज़र तो फख्र से सर और ऊँचा हो,
करो ऐसी 'कुँवर'  हर मोड़ पर तैयार तस्वीरें .
*****


18 comments:

  1. पड़े जिस पर नज़र तो फख्र से सर और ऊँचा हो,
    करो ऐसी 'कुँवर' हर मोड़ पर तैयार तस्वीरें...

    तस्वीरें महापुरुषों की अब ड्राइंग रूम में नहीं दिखतीं...हाँ थानों और नेताओं की कुर्सी के पीछे जरुर दिखतीं हैं...

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  2. बेहतरीन गज़ल है -वातावरण की मानसिक कुन्हासे की सृष्टि करती है यह गजल एक वाहियात बदलाव की तरफ इशारा भी .

    दरो दीवार पे दिखतीं हैं अब पूडल की तस्वीरें ,

    बने भारत के जीजा इटली के दामाद की हीरें .

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  3. घरों से देवताओं- देवियों के चित्र ग़ायब हैं,
    घरों में अब नज़र आती हैं कुछ बेकार तस्वीरें .

    laajavaaaab!!

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  4. बहुत सुन्दर सर ,वाकई आज यही तस्वीर है हमारे समाज की ....
    शुभकामनाये
    मंजुला

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  5. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति
    सादर

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  6. शहीदों की वो तस्वीरें जिन्हें हम सर झुकाते हैं,
    समय की भेंट चढ़ जायें न वो दमदार तस्वीरें .

    kahan dekhne ko milti hain shaheedon ki tasveerain ? aaj ki tareekh me to police thano me bhi shahido ki tasveere dekhne ko nahi milti.

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  7. बहुत ही बेहतरीन रचना..
    पड़े जिस पर नज़र तो फख्र से सर और ऊँचा हो,
    करो ऐसी 'कुँवर' हर मोड़ पर तैयार तस्वीरें .
    हम भी अच्छी ही तस्वीर बनायेंगे और घर पर भी रखेंगे
    अपनी यादों और श्रद्धा में भी रखेंगे,,,,...
    :-)

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  8. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  9. शहीदों की वो तस्वीरें जिन्हें हम सर झुकाते हैं,
    समय की भेंट चढ़ जायें न वो दमदार तस्वीरें .....बहुत सही कहा..आजकल दीवारो से इनकी तस्वीरें गायब ही होगई..आभार

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  10. शहीदों की वो तस्वीरें जिन्हें हम सर झुकाते हैं,
    समय की भेंट चढ़ जायें न वो दमदार तस्वीरें .

    पड़े जिस पर नज़र तो फख्र से सर और ऊँचा हो,
    करो ऐसी 'कुँवर' हर मोड़ पर तैयार तस्वीरें .

    शहीदों की वो तस्वीरें जिन्हें हम सर झुकाते हैं,
    समय की भेंट चढ़ जायें न वो दमदार तस्वीरें .

    ऐसा बदलाव दिशाहीनता की निशानी .

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  11. बदल गया ज़माना नहीं दीवार पर तस्वीरें
    जेब में लिए घूमते हैं मोबाइल में तस्वीरें ।

    बहुत सुंदर गज़ल

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  12. हमारी सभ्यता को बन के दीमक चाटने वाली,
    बदन दिखला रहीं खुलकर सरे-बाज़ार तस्वीरें .

    एकदम सच है .. बेहतरीन ग़ज़ल !

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  13. घरों से देवताओं- देवियों के चित्र ग़ायब हैं,
    घरों में अब नज़र आती हैं कुछ बेकार तस्वीरें .
    आह! कुंवर साहब लगा आपने दुखती रग पर हौले से हाथ रख दिया हो। इस एक शे’र पर अनुभव लिखने लग जाऊं तो पन्ने भर जाएं।
    एक वाकया याद आया। एक लघुकथा के रूप में जल्द ही “विचार” पर लाऊंगा।

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  14. मुद्दते गुजरी तेरी याद भी आई न हमें
    और हम भूल गए हो तुझे ऐसा भी नही,,,,,,,

    RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम

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  15. बदल गया ज़माना नहीं दीवार पर तस्वीरें
    जेब में लिए घूमते हैं मोबाइल में तस्वीरें ।
    समसामयिक ग़ज़ल .....

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  16. शानदार
    छिन गए शब्द सारे
    कैसे लिखूँ प्रतिक्रिया

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  17. पड़े जिस पर नज़र तो फख्र से सर और ऊँचा हो,
    करो ऐसी 'कुँवर' हर मोड़ पर तैयार तस्वीरें .

    विचारणीय. बेहतरीन ग़ज़ल.

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