बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2013) के "मिथकों में जीवन" चर्चा मंच अंक-1258 पर भी होगी! सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मंहगाई में हो गया,अब जीना दुश्वार। लगातार यूँ पड़ रही,मंहगाई की मार।। ..सच बाल बच्चों को पढना लिखना ..खिलाना-पिलाना बहुत कठिन होता जा रहा है .. बहुत बढ़िया
बहुत सुंदर ! जितनी सार्थक रचना उतनी ही कलात्मक ! शुभकामनायें ! कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें | http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://mmsaxena69.blogspot.in/
मंहगाई की मार ने इतनी लाजवाब कुंडली की उत्पत्ति करा दी ... बहुत लाजवाब धार दार ...
ReplyDeleteआग लगा कर भी कहाँ मिल पाएगा चैन
ReplyDeleteबत्तीस रुपए बहुत हैं ये हैं सरकारी बैन ।
सटीक कुंडली
यह भी कईयों के लिए भगवान है |
ReplyDeleteमंहगाई के कारण तन्हाई भी बढ़ गई?? :)
ReplyDeleteलाजवाब!!
इस समस्या ने भी जोरदार 'कुँडली' मारी है।
बहुत सुंदर लाजबाब कुण्डली ,,
ReplyDeleteRECENT POST : बेटियाँ,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2013) के "मिथकों में जीवन" चर्चा मंच अंक-1258 पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मह्गाये नागिन की तरह कुंडली मारकर बैठ गयी है ..बेहतरीन ..मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है
ReplyDeleteमंहगाई : यत्र,तत्र,सर्वत्र
ReplyDeleteमंहगाई,मंहगाई,मंहगाई..बहुत सटीक...
ReplyDeleteमंहगाई में हो गया,अब जीना दुश्वार।
ReplyDeleteलगातार यूँ पड़ रही,मंहगाई की मार।।
..सच बाल बच्चों को पढना लिखना ..खिलाना-पिलाना बहुत कठिन होता जा रहा है ..
बहुत बढ़िया
अब तो मंहगाई की मार सहने की हिम्मत भी नहीं बची....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
आदरणीय कुंवर भैया जी ये तो रोजनामचा है अब कहाँ त्रास देता है
ReplyDeleteसुरसा के मुंह की तरह बढती ही चली जा रही है, पता नहीं कहाँ तक लेकर जाएगी...आग लगे,हाँ आग,लगे इस मंहगाई में...
ReplyDeleteअब तो महंगायी ने मार ही डाला है. कितना अच्छा हो कि तनख्वाह भी महंगायी की रफ्तार से बढे.
ReplyDeleteआजकल आपने ब्लॉग पर सक्रियता कम कर दी, स्वास्थ्य तो ठीक है ना अथवा कुछ और व्यस्तताएं हैं.
SATYA
ReplyDeleteबहुत सुंदर ! जितनी सार्थक रचना उतनी ही कलात्मक ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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