कुँवर कुसुमेश
मालिक तू इत्मिनान से दैरो-हरम में है.
पर चाहने वाला तेरा दरिया-ए-ग़म में है.
सहमा हुआ है आदमी आतंकवाद से,
बम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है.
चौड़ी हुई सड़क तो कई पेड़ कट गये,
पर्यावरण का नाश छुपा इस उधम में है.
रॉकेट गया है चाँद पे पानी तलाशने,
साइंस दाँ बताए कोई किस भरम में है.
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
कुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
उम्मीद करें आप नये साल से 'कुँवर',
इसका ही नाम दोस्तों अहले-करम में है.
शब्दार्थ:-
दैरो-हरम=मंदिर-मस्जिद, दरिया-ए-ग़म=ग़म का दरिया,
हर्फ़े-बम=बम शब्द, अहले-करम=दया करने वाला